आज के समय में थायराइड होने का सबसे आम कारण है खराब लाइफस्टाइल और अव्यवस्थित खानपान आयोडीन की कमी। थायराइड एक छोटी सी ग्रंथि है यह गले के सामने हसली के ऊपर होती है वह आकर में तितली जैसी दिखती है। थायराइड का दर्द मुख्य रूप से गले के सामने जहां थायराइड ग्रंथि होती है वहां पर महसूस होती है और यह जबड़े या कान तक भी फैल सकता है। इससे गली में खराश और बेचैनी जैसा महसूस होता है। थायराइड में दिल की धड़कन का तेज और अनियमित होना, थायराइड में घबराहट अत्यधिक पसीना आना ज्यादा गर्मी लगना जैसे लक्षण दिखते है, यह T3 (ट्राइऑडोथायरॉनिन)औरT4(थायरॉक्सिन) नामक हार्मोन बनाती है।
ये हार्मोन शरीर के चयापचय, तापमान, हृदय गति, और मानसिक स्थिति को नियंत्रित करते हैं।साथ ही इसका असर पूरे शरीर की ऊर्जा, भावनाओं और हार्मोनल संतुलन पर पड़ता है। खासकर महिलाओं में यह समस्या अधिक आम है — मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति जैसे जीवन के चरणों में यह ग्रंथि बार-बार संतुलन खो सकती है।
महिलाओं में ही थायरॉयड की समस्या क्यों अधिक होती है?
महिलाओं में ही थायरॉयड की समस्या क्यों अधिक होती है?
- हार्मोनल का उतार-चढ़ाव- मासिक धर्म का सही से न होना या लंबे समय तक अनियमित होना गर्भावस्था और मेनोपॉज़ के दौरान हार्मोनल अक्सर बदलते रहते है जिसके कारण यह थायरॉयड को प्रभावित करते हैं।
- ऑटोइम्यून विकार-ऑटोइम्यून विकार एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से अपने ही स्वस्थ कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों पर हमला करने लगती है। सामान्य स्थिति में इम्यून सिस्टम शरीर को बैक्टीरिया, वायरस और हानिकारक तत्वों से बचाता है, लेकिन ऑटोइम्यून रोगों में यह “दुश्मन” और “अपना” पहचानने की क्षमता बिल्कुल ही खो देता है।
- आयोडीन की कमी- कई बार महिलाएं नमक कम खाती हैं क्योंकि वह डाइटिंग कर रही होती है। कम खाने की वजह से उन्हें आयोडीन सही मात्रा में नहीं मिल पाते हैं आयोडीन थायरॉयड हार्मोन के निर्माण में आवश्यक है। इसकी कमी से थायरॉयड असंतुलन हो सकता है।
- तनाव और नींद की कमी- क्रॉनिक स्ट्रेस और नींद की कमी, कई महिलाए घर और बाहर के कार्य में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि वह अपने आप को समय नहीं दे पाती और ना ही सही तरीके से नींद ले पाती हैं नींद का ना पूरा होना भी और तनाव में रहना भी थायरॉयड को धीमा या तेज़ कर सकते हैं।
- प्रसव के बाद थायराइड– (पोस्टपार्टम थायराइडाइटिस) बच्चे को जन्म देने के बाद कई सारी महिलाओं में थायराइड की समस्या हो जाती है। यह अस्थायी भी हो सकती है, लेकिन कुछ मामलों में स्थायी हाइपोथायराइडिज़्म बन जाता है।
- अनुवांशिकता– अगर किसी परिवार में (मां माबहन नानी दादी)किसी को थायराइड है तो यह महिलाओं में खासकर खतरा और ज्यादा बढ़ा देता है।
- जीवनशैली और डाइटिंग– कई महिलाएँ वजन कम करने के लिए बार-बार डाइटिंग करती हैं, जिससे कि उनके शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है।यह थायराइड को कमजोर कर सकता है।
थायराइड के क्या लक्षण है?
आइए जानते है थायराइड के कुछ लक्षण:
1.हाइपोथायरॉयडिज़्म (थायरॉयड की कमी से)
- लगातार थकान और सुस्ती: हमारे शरीर में एकदम से थकान और सुस्ती होने लगती है।
- वजन बढ़ना कारण: बिना किसी कारण ही अचानक से वजह बढ़ने लगता है।
- ठंड सहन न होना: ऐसी स्थिति में हमें ठंड बिल्कुल सहन नहीं होती है। थोड़ा भी ठंडी हवा ज्यादा लगने लगती है।
- कब्ज और सूखी त्वचा: थायराइड में हमें कब्ज की समस्या और साथ ही हमारे चेहरे पे रूखापन जैसी दिक्कत होने लगती है।
- मासिक धर्म में अनियमितता या भारी ब्लीडिंग: थायराइड में मासिक धर्म में अनियमितता कई दिनों तक मासिक धर्म का न आना का होना या या भारी ब्लीडिंग की भी समस्या होती है।
- बालों का झड़ना और मूड स्विंग्स: इस समस्या में हमारे बालों का जड़ना, बाल रुखा होना, बिल्कुल ही पतले होना इसके साथ ही हमारे मन का बदलना(मूड स्विंगस)चिड़चिड़ापन होने लगते है।
2.हाइपरथायरॉयडिज़्म (थायरॉयड की अधिकता)
लगातार थकान और सुस्ती: हमारे शरीर में एकदम से थकान और सुस्ती होने लगती है।
- वजन बढ़ना कारण: बिना किसी कारण ही अचानक से वजह बढ़ने लगता है।
- ठंड सहन न होना: ऐसी स्थिति में हमें ठंड बिल्कुल सहन नहीं होती है। थोड़ा भी ठंडी हवा ज्यादा लगने लगती है।
- कब्ज और सूखी त्वचा: थायराइड में हमें कब्ज की समस्या और साथ ही हमारे चेहरे पे रूखापन जैसी दिक्कत होने लगती है।
- मासिक धर्म में अनियमितता या भारी ब्लीडिंग: थायराइड में मासिक धर्म में अनियमितता कई दिनों तक मासिक धर्म का न आना का होना या या भारी ब्लीडिंग की भी समस्या होती है।
- बालों का झड़ना और मूड स्विंग्स: इस समस्या में हमारे बालों का जड़ना, बाल रुखा होना, बिल्कुल ही पतले होना इसके साथ ही हमारे मन का बदलना(मूड स्विंगस)चिड़चिड़ापन होने लगते है।
- हाइपरथायरॉयडिज़्म(थायरॉयड की अधिकता)अचानक वजन घटना: जब थायराइड की मात्रा बढ़ जाती है, फैट और मांसपेशियाँ जलने लगती हैं, जिससे वजन तेजी से घटने लगता है।
- तेज़ दिल की धड़कन: एकदम से दिल की धड़कन तेज हो जाती है
- घबराहट और बेचैनी: पूरे शरीर में घबराहट और बेचैनी बढ़ जाती है
- पसीना अधिक आना: तापमान सामान्य होने पर भी बहुत ज्यादा पसीना आने लगता है।
- नींद न आना: इस समय नींद ना आने की एक बहुत बड़ी समस्या है।
- आंखों में उभार या सूजन: आंखें बाहर की ओर उभरने लगती है और सूजन हो जाते हैं।
देखभाल–
थायरॉयड को संतुलन में रखने के कुछ उपाय और देखभाल–
- नियमित जांच – हर 6 महीने में TSH, T3, T4 टेस्ट जरूर करवाएं। यदि गर्दन में सूजन या गांठ महसूस हो तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें।
- पोषण पर ध्यान– थायराइड की समस्या में हमें सही पोषण लेना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि यह ग्रंथि हार्मोन के उत्पादन और संतुलन पर सीधा असर डालता है। इसलिए अपने पोषण पे अच्छे से ध्यान दें।आयोडीन, सेलेनियम, जिंक और विटामिन D से भरपूर भोजन लें।
- तनाव प्रबंधन- योग और ध्यान– तनाव को दूर करने के लिए हर रोज कोशिश करें कि कुछ योग कर सके, प्राणायाम जैसे –(अनुलोम–विलोम, भ्रामरी) योगासन (सर्वांगासन, मत्स्यासन, हलासन) थायराइड ग्रंथि को काफी उत्तेजित करते हैं। तनाव प्रबंधन: ध्यान, गहरी साँस लेना, इसके अलावा जितना हो सके प्रकृति में समय बिताना, संगीत सुनना।योग, ध्यान से मानसिक संतुलन बनाए रखें।
- मासिक धर्म के समय विशेष देखभाल– मासिक धर्म के समय हमें विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि थायरॉयड असंतुलन पीरियड्स को प्रभावित करता है, इसलिए उस समय पोषण और आराम पे ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
- नींद की गुणवत्ता– रोजाना 7–8 घंटे की गहरी नींद लेंने की कोशिश करें।सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें अपनाएं। घरेलू उपचार: आत्मीयता से भरपूर ये नुस्खे
घरेलू उपचार: आत्मीयता से भरपूर ये नुस्खे?
- त्रिफला और अश्वगंधा चूर्ण- त्रिफला पाचन को सुधारता है, और अश्वगंधा तनाव को कम करता है। रोज़ रात को गर्म पानी के साथ 1 चम्मच लें।
- लहसुन और अदरक का सेवन – ये दोनों थायरॉयड को डिटॉक्स करने में बहुत मदद करते हैं। सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली और अदरक का टुकड़ा चबाएं।
- गिलोय और तुलसी का काढ़ा- तुलसी मानसिक तनाव, थकान, से बहुत राहत देती है, और गिलोय हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इसे हर रोज सुबह एक कप लें।
- आयोडीन-युक्त प्राकृतिक स्रोत समुद्री सब्जियां – (समुद्री शैवाल) आयोडीन के अच्छे स्रोत हैं।आयोडीन युक्त नमक, समुद्री मछली, डेयरी उत्पाद दूध, दही, लें।
- शहद और दालचीनी- शहद और दालचीनी का यह मिश्रण चयापचय को सुधारता है और थायरॉयड को संतुलन में रखता है। एक गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच शहद और चुटकी भर दालचीनी मिलाकर सुबह लें बहुत लाभ मिलेगा।
- योगासन- हर रोज ये योगासन करें जैसे –सर्वांगासन, मत्स्यासन और भुजंगासन ये सारे आसन हमारे थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करते हैं। हर रोज कम से कम 20 मिनट तक करें।
- हरा धनिया- हरे धनिये के इस्तेमाल से थायराइड को ठीक किया जा सकता है। ताजे हरे धनिये को बारीक़ पीसकर इसकी चटनी बना ले। अब इस चटनी को रोजाना एक गिलास पानी में घोलकर पिए। रोजाना पानी के साथ हरे धनिये की चटनी का सेवन करने से थायराइड धीरे धीरे कण्ट्रोल होने लगता है। उसके अलावा धनिया के बीच का भी उपयोग कर सकते हैं। दो कप पानी में एक चम्मच धनिया रात को भिगो कर रख रखिए और सुबह अच्छे से छान कर खाली पेट पीने से बहुत लाभ मिलता है।
- मुलेठी लें- थायराइड से जूझ रहे लोगो को थकान बहुत जल्दी आती है और वे बहुत जल्दी थक जाते हैं। एैसे में उन्हें मुलेठी का सेवन करना चाहिए मुलेठी का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं। और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। इसके अलावा मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है। लगभग 1–3 ग्राम पाउडर दिन में 1–2 बार गुनगुने पानी या शहद के साथ मिलाकर लें।
- लौकी का जूस – सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीने से थायरॉइड कम होने लगता है। लौकी का जूस शरीर को ताकत देता है साथ ही एनर्जी बूस्टर का काम करता है। इससे आपके शरीर को बहुत फायदा मिलता है।
- तुलसी और एलोवेरा – दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा का जूस मिलाकर पीने से थायराइड के स्तर को नियंत्रित करने में काफी मदद मिलती।
स्नेहरूपी पक्ष
थायरॉयड की समस्या सिर्फ हार्मोन का असंतुलन ही नहीं बल्कि— यह शरीर की एक शांत पुकार है। जब आप थकान को नज़रअंदाज़ करती हैं, जब आप बालों के झड़ने को “स्ट्रेस” कहकर टाल देती हैं — और फिर हमारा शरीर धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा शक्ति खोने लगता है।
इस आर्टिकल का लक्ष्य है — आपको अपने शरीर से फिर से जुड़ने का आमंत्रण देना। हर लक्षण एक संकेत है, हर घरेलू उपाय एक स्नेहपूर्ण स्पर्श।
निष्कर्ष
महिलाओं में थायरॉयड की समस्या होना आम है, लेकिन इसका समाधान भी आपके भीतर ही है —अच्छी -देखभाल, पोषण, और भावनात्मक संतुलन। यह ऑर्टिकल एक की शुरुआत है, जिसमें आप अपने शरीर को फिर से समझें, संभाले, अच्छी पोषण, दें और उसे वह स्नेह दें जिसकी वह हकदार है।
मेरे और भी पोस्ट पढ़े
PCOS क्या है? लक्षण, कारण और कारीगर घरेलू उपाय।
पीरियड्स के दौरान नींद को कैसे सुधारे- सही तरीके और उपाय।
एड़ी और तलवों में दर्द: कारण, रोकथाम और घरेलू उपचार।